भारतीय दंड संहिता की धारा 504 व् धारा 506

 भारतीय दंड संहिता की धारा 504 व् धारा 506 क्या कहती है

यदि कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अपमानित करता है, जो कि उस व्यक्ति के साथ गालीगलौज करता है साथ में धमकी देता है,जो कि यह धमकी जान से मारने की हो, या आग से जला देने की धमकी हो, या किस संपत्ति को नष्ट करने की धमकी देता है, ऐसा करने वाले व्यक्ति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 504 व् धारा 506 लगती है।

उदाहरण सरल भाषा में आस पास मोहल्ले में या कही दूर गावं में दो पक्षों के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया, यह विवाद इतना बढ़ गया की धमकी ,मार पीट, गाली गलौज की नौबत आ गयी। विवाद में घायल पक्ष की और से पुलिस बुलाई गयी और धमकी, मारपीट गाली गलौज करने वाले पक्ष के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हो गयी। ऐसा करने वाले व्यक्ति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 504 व् धारा 506 लगती है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 504 में दंड से दण्डित किया जायेगा

सजा - धारा 504 के तहत 2 साल की कारावास या जुर्माना या दोनों।
जमानतीय या गैर जमानतीय :- यह एक जमानतीय अपराध है।
संज्ञेय या असंज्ञेय :- यह एक असंज्ञेय अपराध है।
किस न्यायलय में विचारणीय होगा :- कोई भी मजिस्ट्रेट इस अपराध पर विचरण कर सकेगा।
समझौते योग्य या असमझौते योग्य :- यह अपराध समझौते योग्य है या नहीं यह पीड़ित पक्षकार पर निर्भर करता है कि वह समझौता करे या नहीं।

भारतीय दंड संहिता की धारा 506 में दंड से दण्डित किया जायेगा

सजा :- धारा 506 के तहत 2 साल तक की सजा जुरमाना
जमानतीय या अजमानतीय :- यह अपराध जमानतीय होगा।
संज्ञेय या असंज्ञेय :- यह अपराध असंज्ञेय होगा।
किस न्यायालय में विचारणीय होगा :- किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होगा।

यदि धमकी मृत्यु या गंभीर क्षति इत्यादि कारित करने की हो -

  1. यदि मृत्यु कारित करने की धमकी
  2. गंभीर क्षति कारित करने की धमकी,
  3. अग्नि द्वारा किसी संपत्ति का नाश करने की धमकी,
  4. किसी स्त्री पर अस्तित्व पर लांछन लगाने की धमकी,
  5. मृत्यु दंड से या आजीवन कारावास से वर्ष की अवधि तक दंडनीय अपराध कारित करने की धमकी हो, जो कि कारावास जिसकी अवधि 7 साल तक की हो सकेगी या जुर्माना से या दोनों से दण्डित किया जायेगा।

सजा :- अपराध की सजा 7 साल कारावास या जुर्माना या दोनों से।

जमानतीय या गैर-जमानतीय :- यह अपराध जमानतीय है।

संज्ञेय या असंज्ञेय :- यह अपराध संज्ञेय अपरापध है।

किस न्यायालय में विचारणीय होगा :- प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होगा।

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